आयुर्वेद एक सुगम और सहज चिकित्सा पद्धति है। प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति में सर्वोत्कृस्ट माने जाने वाले इस पद्धति का विकाश सारी दुनिया में नये सिरे से हो रहा है। भारत में भी इसके विकास में वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। पुरे देश में आयुर्वेदिक शिक्षा का एक पाठ्यक्रम एवं समान उपाधि निर्धारित कर दी गयी है। ईसी द्रष्टिकोण से भारतीय केंद्रीय चिकित्सा परिषद् ने बीo एo एमo एसo आयुर्वेदाचार्य का एक पाठ्यक्रम तैयार किया और पुरे देश में इसे लागु कर दिया गया है।
बिहार के ग्रामीण क्षेत्र में देशी चिकित्सा सुविधा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रसिद्ध शिक्षाविद श्री महामाया शरण सिंह और आयुर्वेदाचार्य रामरक्षा पाठक ने छपरा में एक आयुर्वेद महाविधालय प्रारंम्भ करने का संकल्प लिया। आचार्य रामरक्षा पाठक ने आयुर्वेदिक कॉलेज बेगुसराय और हरिव्दार में प्राचार्य ,जामनगर (गुजरात) केंद्रीय स्नातकोत्तर आयुर्वेदिक अनुसंधान परामर्शदाता और केंद्रीय चिकित्सा परिषद के सदस्य जैसे महत्वपूर्ण पदो पर कार्य किया था और उनके मन में इस पध्दति के विस्तार की एक बड़ी योजना थी। उन्होंने छपरा के पसिद्ध आयुर्वेद चिकित्सक पंडित रमाकांत ओझा से विचार - विमर्श करके एक कमिटी का गठन किया। कमेटी के अध्यक्ष आचार्य रामरक्षा पाठक और सचिव श्री महामाया शरण सिंह बनाये गये। प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी कपिलदेव श्रीवास्तव ,अधिवक्ता पंडित शिवकुमार व्दिवेदी , श्री ब्रजनंदन सिंह , श्री जगन्नाथ प्रसाद सरार्फ और श्री ऋषि पाठक इसके सदस्य बनाये गये।


